बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर !
पंथी को छाया नहीं फल लागत अति दूर !!
धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होए !
माली सींचे सौं गुना ऋतु आये फल होए !!
मनका फेरत जुग गया, गया ना मनका फेर !
मनका मनका दारिदे, मनका मनका फेर !!
रहिमन निज मन कि व्यथा, मन रखो अति गोय !
सुनी अठिलाहिये लोग सब बाँट ना लहिये कोय !!