Friday, July 13, 2007

अति का भला ना बोलना, अति कि भली ना चूप
अति का भला ना बरसना, अति कि भली ना धूप

Tuesday, July 10, 2007

जाती न पूछो साधू कि , पूछ लीजिये ज्ञान
मोल करो तलवार कि पडी रहने दो म्यान

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए
टूटे से फिर न जुडे ,जुडे गाँठ पडी जाए
गुरू गोविन्द दोनो खड़े, काके लगूँ पाये
बलिहारी गुरू आपने, गोविन्द दियो बताये

कांकर पाथर जोड़ के मस्जिद लियो बनाए
ता चढ़ मुल्ला बांग दे क्या बहरा भयो खुदाए

पाथर पूजे हरी मिले तो मैं पुजूं पाहार
ता से तो चाकी भली पीस खाए संसार

चलती चाकी देख के दिया कबीरा रोए
दुई पाटन के बीच मे साबुत बचा न कोए

Friday, July 6, 2007

अमृत वाणी

निंदक नियरे राखिये , आंगन कुटीर छवाय!
बिन पानी साबुन बिना , निर्मल करे स्वभाये !!

पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भयो न कोय !
ढाई आखर प्रेम का पढे सो पंडित होय !!

बुरा jo देखन चला बुरा न मिलया कोय !
जों मन खोजा आपना तो मुझसे बुरा ना कोय !!

ऐसी वाणी बोलिए, मन का आप खोय !
अपना तन शीतल करे, औरहु शीतल होय !!

हिंदी का महत्व

हिंदी, हमारी मात्री भाषा है , हर देश कि तरह हिंदुस्तान मे भी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा मत्री भाषा जनता है पर अन्य देशो कि तरह हम हमारी मात्री भाषा उपयोग करने मे हिचकिचाते है लोग हिंदी बोलने से कतराते है , हिंदी बोलने वालो को छोटा समझते है
मेरी ये संगोष्ठी समर्पित है हमारी मात्री भाषा के नाम , और मैं स्वागत करता हु उन सभी लोगो का जो इस भाषा का उपयोग करना चाहते है
यहा आपको अपनी स्वेक्षा अनुसार कुछ भी लिखने कि पुरी आजादी है यहा हिंदी लिखे के लिए आपको हिंदी टैपिंग जानने कि जरूरत नही , आप आपने स्वर पटल पर हिंदी शब्द के अंग्रेजी वर्तनी (स्पेल्लिंग) लिखते जाये और ऊपर "अ" चित्र को क्लिक करें
वर्षो बाद हिंदी लिखने का अलग ही अह्शाश है
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर !
पंथी को छाया नहीं फल लागत अति दूर !!

धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होए !
माली सींचे सौं गुना ऋतु आये फल होए !!

मनका फेरत जुग गया, गया ना मनका फेर !
मनका मनका दारिदे, मनका मनका फेर !!

रहिमन निज मन कि व्यथा, मन रखो अति गोय !
सुनी अठिलाहिये लोग सब बाँट ना लहिये कोय !!

Tuesday, June 12, 2007

ग्यात्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः । तत् सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात । ।

वेल्कोमे नोट